Wednesday, August 24, 2011

अन्ना की गिरफ्तारी की आशंका से हड़कंप


रामलीला मैदान में बुधवार रात सबकुछ ठीक चल रहा था। मैदान अन्ना समर्थकों से भरा था। इसी बीच रात के साढे़ ग्यारह बजे सिविल सोसायटी की ओर से घोषणा होती है कि अन्ना हजारे और सिविल सोसायटी के सदस्यों को पुलिस जबरदस्ती उठाकर ले जा सकती है। ऐसे में समर्थक संयम बनाए रखें। समर्थकों के बीच हलचल मच जाती है और समर्थक अन्ना हजारे जिंदाबाद और वंदे मातरम् के नारे लगाने लगते हैं। पुलिस ने रामलीला मैदान के चारों ओर बैरिकेटिंग कर वाहनों की आवाजाही बंद कर दी है। चारों ओर भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात है।
रामलीला मैदान के मंच पर ठीक सात मिनट बाद 11:37 बजे टीम अन्ना आती है और अन्ना हजारे समर्थकों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि मैं बिल्कुल स्वस्थ्य और फिट हूं। अगर पुलिस मुझे जबरदस्ती ले जाए तो देशवासियों को दिल्ली की ओर कूच करना है। अन्ना ने 'चलो दिल्ली' का नारा देते हुए कहा कि अहिंसापूर्वक सभी ने संसद का घेराव करना है और गिरफ्तारियां देते हुए जेल भरो आंदोलन करना है। उन्होंने समर्थकों से बार-बार आग्रह किया कि पुलिस और सरकार कितनी भी बर्बरता अपनाए, लेकिन सभी को संयम बरतते हुए अपना विरोध अहिंसापूर्वक करना है।
टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी ने कहा कि रामलीला मैदान हमारी कर्मभूमि है। अगर अन्ना की तबीयत खराब होगी तो हम खुद नहीं चाहेंगे कि वह यहां रहें। लेकिन अन्ना खुद कह रहे हैं कि उनकी तबीयत ठीक है।
सिविल सोसायटी के प्रवक्ता मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार से आज हमारी बात हुई। लेकिन जो स्थिति 10 अप्रैल और 16 अगस्त को थी, वही आज भी है। सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। सरकार हमसे सौदेबाजी करना चाहती है, जो हम नहीं चाहते। सरकार कहती है कि कुछ कदम तुम चलो, कुछ कदम हम चलें। लेकिन हमें अन्ना के जन-लोकपाल से कम कुछ भी नहीं चाहिए।
रात 11:50 बजे अन्ना ने एक बार फिर समर्थकों को संबोधित किया और कहा कि मुझे कोई तकलीफ नहीं है। सरकार चाहे तो सरकारी डॉक्टर से चेकअप करा सकती है। फिर भी अगर पुलिस मुझे लेकर जाती है तो संयम बनाए रखना है और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए दिल्ली आना है। जेल भरो आंदोलन चलाना है। जिसके बाद अन्ना विश्राम के लिए चले गए और कुछ सेकेंड बाद किरण बेदी मंच पर वापस आती हैं और कहती हैं कि पुलिस आयुक्त बीके गुप्ता का संदेश उनके मोबाइल पर आया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि अन्ना की गिरफ्तारी की कोई योजना नहीं है।

हर जुबान पर एक ही सवाल, कैसे हैंअन्ना


 आज भ्रष्टाचार से तंग हर इंसान अन्ना हजारे का साथ देना चाह रहा है। बहुत से लोग ऐसा कर रहे हैं परंतु कुछ अपनी मजबूरियों के चलते उनका साथ देने रामलीला मैदान नहीं पहुंच पा रहे है। लेकिन अन्ना अब सबके दिल में बस गए है। शायद यही कारण है कि इस तरह के लोगों को जब भी मौका मिलता है तो वह अन्ना के आंदोलन व उनकी सेहत के बारे में जानकारी लेने का मौका नहीं छोड़ते।
बुधवार को कुछ इसी तरह का नजारा उच्च न्यायालय में देखने को मिला। अदालत के कर्मचारी हों या वकील, जब भी उनको कोई मीडियाकर्मी दिख रहा था तो एक ही सवाल पूछ रहे थे कि अन्ना का क्या हाल है? हर कोई उनकी गिरती सेहत व आंदोलन के बारे में जानना चाह रहा था कि आखिर सरकार क्या करने जा रही है। इस आंदोलन का नतीजा क्या होगा? यह सभी उनकी ऐसे चिंता करते नजर आए जैसे अपना कोई सगा-संबंधी हो।

Saturday, August 20, 2011

देश को गद्दारों से है खतरा: अन्‍ना हजारे

 जन लोकपाल विधेयक की मांग पर अनशन कर रहे अन्ना हजारे का अनशन शनिवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया वहीं उनके दल के सदस्यों ने कहा है कि वे सरकार से वार्ता के लिए तैयार हैं लेकिन अभी तक इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं है। कल से रामलीला मैदान में अनशन की शुरुआत कर चुके हजारे आज सुबह दस बजे जब मंच पर आए तो उनके समर्थकों में भारी उत्साह दिखा। मंच से जनसैलाब को संबोधित करते हुए हजारे ने कहा कि सरकारी खजाने को चोरों से खतरा नहीं है बल्कि उनसे खतरा है जो इसकी सुरक्षा करते हैं और देश को भी इन्हीं देशद्रोहियों से खतरा है।
हजारे ने कहा कि हमें क्यों लड़ना चाहिए? सरकारी खजाने का पैसा हमारा है। खजाने को चोरों से खतरा नहीं है बल्कि उनसे है जो इसकी रक्षा करते हैं। दुश्मन देश के साथ विश्वासघात नहीं करते बल्कि यही देशद्रोही विश्वासघात करते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले चार दिनों में मेरा वजन साढ़े तीन किलो कम हो गया है। मैं थोड़ा कमजोर महसूस कर रहा हूं लेकिन इसके बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। जब तक हमें मजबूत लोकपाल नहीं मिल जाता यह लड़ाई जारी रहेगी।
दूसरी तरफ, हजारे के प्रमुख सहयोगी अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया ने कहा कि वे सरकार से बातचीत करने को तैयार हैं लेकिन अभी तक इसकी पहल नहीं हुई है।
केजरीवाल और सिसौदिया ने कहा कि हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन उनकी तरफ से किसी तरह की पहल नहीं हुई है। हमें बातचीत के लिए कहां जाना चाहिए और किससे बात करनी चाहिए? इससे पहले कल हजारे ने जन लोकपाल विधेयक पारित कराने के लिए सरकार को तीस अगस्त तक का अंतिम समय दिया था और कहा था कि ऐसा नहीं होने पर वह अपनी अंतिम सांस तक अनशन करेंगे।



Friday, August 19, 2011

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..ताकि झंडा ऊंचा रहे हमारा


अन्ना हजारे के आंदोलन को आजाद भारत में आजादी की दूसरी लड़ाई की संज्ञा दी गई है। हजारे के साथ लाखों लोग तिरंगा लेकर सड़कों पर निकल पड़े हैं। माहौल में वंदेमातरम गूंज रहा है, झंडा ऊंचा रहे हमारा व रंग दे बसंती चोला, गीत गाए जा रहे हैं और फिर एक सीन ऐसा भी आ रहा है, जब देश की आन बान शान तिरंगा जमीन पर पड़ा अपमानित होता रहता है। किसी 'देशभक्त' की गाड़ी उसे रौंद कर चली जाती है, तो कोई 'राष्ट्रप्रेमी' उसे अपने पैरों तले कुचलते हुए निकल जाता है। इलाहाबाद में यह नजारा इन दिनों आम है।
शहर का सुभाष चौराहा इस समय अन्ना हजारे के आंदोलन का केंद्र बना है, यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के सामने पिछले चार दिनों से हजारों लोग प्रदर्शन में शामिल हुए। 'तुम मुझे खून दो-मैं तुम्हें आजादी दूंगा, का नारा देने वाले नेताजी की आत्मा रोजाना ही अपनों के कार्यो से घायल होती होगी, उनकी आंखों के सामने ही तिरंगे का अपमान हो रहा है और पुलिस प्रशासन मौन रहकर यह तमाशा देख रहा है। तस्वीरों में देखिए, कहां है तिरंगा और कैसे लोग उसे कुचल रहे हैं।
फ्लैग कोड इंडिया
कोई भी व्यक्ति तिरंगे की गरिमा से खिलवाड़ न कर सके, इसके लिए फ्लैग कोड इंडिया-2002 बनाया गया। वर्ष 2002 के पहले आम जनता राष्ट्रीय दिवस को छोड़ किसी और दिन राष्ट्रीय ध्वज किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं लगा सकती थी। सिर्फ सरकारी कार्यालयों में ही इसे लगाया जा सकता था। सन 2002 में उद्योगपति नवीन जिंदल ने अपने कार्यालय के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज लगाया था। इसके लिए उन्हें नोटिस जारी की गई। विरोध में उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की। यह मामला उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय में गया। सुप्रीमकोर्ट ने भारत सरकार को इस मामले पर विचार करने के लिए एक कमेटी बिठाने की सलाह दी। अंत में देशवासियों को सम्मान के साथ सालभर राष्ट्रीय ध्वज लगाने का अधिकार मिला।
तिरंगा फहराने के नियम
-फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के तहत झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जाएगा।
उसे कभी पानी में नहीं डुबोया जाएगा और किसी भी तरह नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। यह नियम भारतीय संविधान के लिए भी लागू होता है।
-तिरंगे की यूनिफार्म बनाकर पहनना भी गलत है।
-कमर के नीचे तिरंगा बना कोई कपड़ा पहनना भी तिरंगे का अपमान है।
-तिरंगे को अंडरगार्मेट्स, रुमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

जनलोकपाल से कम कुछ भी मंजूर नहीं


लगातार मिलते जन समर्थन के बाद अन्ना हजारे ने अपना रुख और सख्त कर लिया है। अब इनकी रणनीति है कि संसद में जल्द से जल्द इस बिल को पेश करवाया जाए। हालांकि न्यायपालिका को इसके दायरे से बाहर रखने के मामले में चर्चा का संकेत देकर यह भी जाहिर कर दिया है कि उन्होंने बातचीत के दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं किए हैं।
अन्ना हजारे ने लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर अपना रुख और कड़ा करते हुए सरकार से मांग की कि उनके 'जन लोकपाल विधेयक' को संसद के मौजूदा सत्र में ही 30 अगस्त तक पारित किया जाए अन्यथा वह अपना अनशन जारी रखेंगे।
तिहाड़ जेल में अपने 67 घंटे के अनशन के बाद रामलीला मैदान पहुंचे हजारे ने कहा कि जब तक जन लोकपाल विधेयक पारित नहीं होगा मेरा अनशन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार संसद और स्थायी समिति में बहुमत में है और हम चाहते हैं कि सरकार संसद के इसी सत्र में हमारे जन लोकपाल विधेयक को पेश करे और 30 अगस्त तक उसे पारित कराए।
अन्ना ने कहा कि सरकार सोचती है कि मैं हठी हूं लेकिन मैं जनता की संसद में हूं और मैं कुछ भी गलत मांग नहीं कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि लोकपाल को लेकर लड़ाई पिछले 42 साल से जारी है। कई बार यह विधेयक संसद में पेश हुआ लेकिन पारित नहीं हुआ। उन्होंने कहा, 'नेता हमसे कहते हैं कि वे चुनकर आए हैं। हम उन्हें बताना चाहते हैं कि वे चुनकर नहीं आए बल्कि हमने उन्हें चुनकर भेजा है।'
हजारे के साथी अरविंद केजरीवाल ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि सरकार संसद और स्थाई समिति को ढाल बना रही है और जनता की आवाज नहीं सुन रही है। हम लोकपाल के बुनियादी मुद्दों और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई से समझौता नहीं कर सकते।
अन्ना ने रामलीला मैदान में अपने हजारों समर्थकों के बीच कहा कि अब वह अपना अनशन तभी तोड़ेंगे जब जन लोकपाल बिल पास हो जाए। सरकार इसे संसद में पेश करे और चूंकि उसके पास बहुमत है तो इसका पास होना भी सुनिश्चित करे। ऐसा नहीं होने पर देश भर में लोग जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे।

Wednesday, August 17, 2011

अन्ना के समर्थन में जनसैलाब उमड़ा


सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भले ही महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण नहीं हो सकते लेकिन बुधवार को उन्होंने सरकार को यह जरूर एहसास करा दिया होगा कि वह आखिरकार किस माटी के बने हैं। देश के अन्य हिस्सों को तो छोड़िए उनके समर्थन में एक तरफ सिर्फ इंडिया गेट पर लाखों की संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा वहीं दूसरी तरफ मंगलवार रात से उन्हें मनाने की कोशिशों में जुटी दिल्ली पुलिस व सरकार को सूझ नहीं रहा है कि वह आखिर करे तो क्या करे।
बहरहाल, अन्ना हजारे अभी भी तिहाड़ जेल परिसर में ही हैं और अपनी शर्तो पर वहां से निकलने की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका अगला पड़ाव रामलीला मैदान होगा, इस बारे में अन्ना हजारे व सरकार के बीच सहमति तो है लेकिन अभी तक अनशन की मियाद को लेकर दोनों पक्षों की ओर से मोलभाव जारी है।
अन्ना हजारे पक्ष ने रामलीला मैदान में अनशन करने के दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया लेकिन वह यह अनशन कितने दिनों तक कर सकेंगे, इसे लेकर अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। अन्ना हजारे कम से कम 30 दिनों की अनुमति देने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि दिल्ली पुलिस कम से कम दिनों तक अनशन की अनुमति देने पर अड़ी है।
अन्ना हजारे ने साफ शब्दों में कह दिया है कि वह तब तक परिसर से बाहर नहीं निकलेंगे जब तक कि उन्हें बगैर प्रतिबंधों के अनशन की अनुमति नहीं दे दी जाती।
अन्ना हजारे की सहयोगी व पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी किरण बेदी ने तिहाड़ के बाहर जुटे समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय उद्यान में अन्ना हजारे के अनशन से सामान्य जनजीवन पर असर पड़ सकता है इसलिए हम चाहते थे कि किसी ऐसे स्थान पर अनशन हो जिससे आम आदमी को किसी प्रकार की परेशानी न हो। खुद दिल्ली पुलिस ने हमारे सामने रामलीला मैदान का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने कहा कि अब बात सिर्फ समय सीमा को लेकर रह गई है। अन्ना हजारे चाहते हैं कि उन्हें कम से कम 30 दिनों के अनशन की अनुमति दी जाए लेकिन सरकार चाहती है कि अन्ना हजारे जल्द से जल्द अपना अनशन खत्म करें। इसे लेकर बातचीत हो रही है।

The Real Leader

Today, Anna Hazare is the face of India's fight against corruption. He has taken that fight to the corridors of power and challenged the government at the highest level. People, the common man and well-known personalities alike, are supporting him in the hundreds swelling to the thousands.



Anna's campaign big hit on facebook n twitter

My Dear Countrymen, the second freedom struggle has begun. I have been arrested as well. Will this struggle stop with my arrest? Absolutely not. You should not let that happen