Friday, August 19, 2011

जनलोकपाल से कम कुछ भी मंजूर नहीं


लगातार मिलते जन समर्थन के बाद अन्ना हजारे ने अपना रुख और सख्त कर लिया है। अब इनकी रणनीति है कि संसद में जल्द से जल्द इस बिल को पेश करवाया जाए। हालांकि न्यायपालिका को इसके दायरे से बाहर रखने के मामले में चर्चा का संकेत देकर यह भी जाहिर कर दिया है कि उन्होंने बातचीत के दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं किए हैं।
अन्ना हजारे ने लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर अपना रुख और कड़ा करते हुए सरकार से मांग की कि उनके 'जन लोकपाल विधेयक' को संसद के मौजूदा सत्र में ही 30 अगस्त तक पारित किया जाए अन्यथा वह अपना अनशन जारी रखेंगे।
तिहाड़ जेल में अपने 67 घंटे के अनशन के बाद रामलीला मैदान पहुंचे हजारे ने कहा कि जब तक जन लोकपाल विधेयक पारित नहीं होगा मेरा अनशन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार संसद और स्थायी समिति में बहुमत में है और हम चाहते हैं कि सरकार संसद के इसी सत्र में हमारे जन लोकपाल विधेयक को पेश करे और 30 अगस्त तक उसे पारित कराए।
अन्ना ने कहा कि सरकार सोचती है कि मैं हठी हूं लेकिन मैं जनता की संसद में हूं और मैं कुछ भी गलत मांग नहीं कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि लोकपाल को लेकर लड़ाई पिछले 42 साल से जारी है। कई बार यह विधेयक संसद में पेश हुआ लेकिन पारित नहीं हुआ। उन्होंने कहा, 'नेता हमसे कहते हैं कि वे चुनकर आए हैं। हम उन्हें बताना चाहते हैं कि वे चुनकर नहीं आए बल्कि हमने उन्हें चुनकर भेजा है।'
हजारे के साथी अरविंद केजरीवाल ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि सरकार संसद और स्थाई समिति को ढाल बना रही है और जनता की आवाज नहीं सुन रही है। हम लोकपाल के बुनियादी मुद्दों और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई से समझौता नहीं कर सकते।
अन्ना ने रामलीला मैदान में अपने हजारों समर्थकों के बीच कहा कि अब वह अपना अनशन तभी तोड़ेंगे जब जन लोकपाल बिल पास हो जाए। सरकार इसे संसद में पेश करे और चूंकि उसके पास बहुमत है तो इसका पास होना भी सुनिश्चित करे। ऐसा नहीं होने पर देश भर में लोग जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे।

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