Wednesday, August 17, 2011

अन्ना के समर्थन में जनसैलाब उमड़ा


सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भले ही महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण नहीं हो सकते लेकिन बुधवार को उन्होंने सरकार को यह जरूर एहसास करा दिया होगा कि वह आखिरकार किस माटी के बने हैं। देश के अन्य हिस्सों को तो छोड़िए उनके समर्थन में एक तरफ सिर्फ इंडिया गेट पर लाखों की संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा वहीं दूसरी तरफ मंगलवार रात से उन्हें मनाने की कोशिशों में जुटी दिल्ली पुलिस व सरकार को सूझ नहीं रहा है कि वह आखिर करे तो क्या करे।
बहरहाल, अन्ना हजारे अभी भी तिहाड़ जेल परिसर में ही हैं और अपनी शर्तो पर वहां से निकलने की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका अगला पड़ाव रामलीला मैदान होगा, इस बारे में अन्ना हजारे व सरकार के बीच सहमति तो है लेकिन अभी तक अनशन की मियाद को लेकर दोनों पक्षों की ओर से मोलभाव जारी है।
अन्ना हजारे पक्ष ने रामलीला मैदान में अनशन करने के दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया लेकिन वह यह अनशन कितने दिनों तक कर सकेंगे, इसे लेकर अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। अन्ना हजारे कम से कम 30 दिनों की अनुमति देने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि दिल्ली पुलिस कम से कम दिनों तक अनशन की अनुमति देने पर अड़ी है।
अन्ना हजारे ने साफ शब्दों में कह दिया है कि वह तब तक परिसर से बाहर नहीं निकलेंगे जब तक कि उन्हें बगैर प्रतिबंधों के अनशन की अनुमति नहीं दे दी जाती।
अन्ना हजारे की सहयोगी व पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी किरण बेदी ने तिहाड़ के बाहर जुटे समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय उद्यान में अन्ना हजारे के अनशन से सामान्य जनजीवन पर असर पड़ सकता है इसलिए हम चाहते थे कि किसी ऐसे स्थान पर अनशन हो जिससे आम आदमी को किसी प्रकार की परेशानी न हो। खुद दिल्ली पुलिस ने हमारे सामने रामलीला मैदान का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने कहा कि अब बात सिर्फ समय सीमा को लेकर रह गई है। अन्ना हजारे चाहते हैं कि उन्हें कम से कम 30 दिनों के अनशन की अनुमति दी जाए लेकिन सरकार चाहती है कि अन्ना हजारे जल्द से जल्द अपना अनशन खत्म करें। इसे लेकर बातचीत हो रही है।

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